खंडेलवाल समाज का इतिहास (Khandelwal Samaj ka Itihaas)
खंडेलवाल समाज भारत के प्राचीन और समृद्ध वैश्य समुदायों में से एक है। इस समाज की उत्पत्ति और विकास का इतिहास राजस्थान की धरती से जुड़ा हुआ है, विशेषतः अलवर, जयपुर, और भरतपुर क्षेत्र से। खंडेलवाल समाज को मुख्यतः व्यापारी, उद्योगपति, और समाजसेवी के रूप में जाना जाता है।
🔷 उत्पत्ति की कथा:
खंडेलवाल समाज की उत्पत्ति से जुड़ी एक प्रमुख मान्यता के अनुसार:
खंडेलवाल समाज के पूर्वजों की उत्पत्ति महाराज खांडव से मानी जाती है।
खांडव ऋषि ने तपस्या और ब्राह्मण ज्ञान के माध्यम से समाज को दिशा दी। इसी कारण इस समाज का नाम “खंडेलवाल” पड़ा।
एक अन्य लोकप्रिय मान्यता यह है कि:
खंडेला (राजस्थान का एक प्राचीन नगर) खंडेलवाल समाज का उद्गम स्थल है। “खंडेला” से “खंडेलवाल” नाम पड़ा।
🔷 गोत्र (Gotra):
खंडेलवाल समाज में कुल 72 ½ गोत्र (सगोत्र) माने जाते हैं। इन गोत्रों की उत्पत्ति विभिन्न ऋषियों और कुलों से जुड़ी है, और विवाह आदि सामाजिक रीति-रिवाजों में इनका महत्वपूर्ण स्थान है।
🔷 कुलदेवी / कुलदेवियाँ:
हर गोत्र की अपनी कुलदेवी होती है। खंडेलवाल समाज की प्रमुख कुलदेवियाँ निम्नलिखित हैं:
गोत्र | कुलदेवी | स्थान |
---|---|---|
बागड़ा | चामुंडा माता | मांडलगढ़ |
छाजेड़ | करणी माता | देशनोक |
मित्तल | रतनगढ़ वाली देवी | चूरू |
लोहिया | शाकंभरी माता | सांभर |
बांगड़ | नीलकंठेश्वरी माता | |
खंडेलवाल सामूहिक | जीन माता | सुरजनसर / सच्चियाय माता नागौर |
(नोट: स्थान और देवी का नाम गोत्र विशेष पर निर्भर करता है)
🔷 प्रमुख क्षेत्र:
खंडेलवाल समाज मुख्यतः राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा में बसा हुआ है।
🔷 सामाजिक भूमिका और विशेषताएँ:
व्यापार में दक्षता – खंडेलवाल समाज पारंपरिक रूप से व्यापार में अग्रणी रहा है।
शिक्षा व परोपकार – समाज ने शिक्षा, धर्मार्थ कार्यों, और सेवा क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है।
मंदिर निर्माण व धर्मशालाएँ – कई प्रमुख मंदिर, धर्मशालाएं और अस्पताल खंडेलवाल समाज द्वारा निर्मित हैं।
🔷 खंडेलवाल समाज के उपविभाग:
खंडेलवाल वैश्य समाज को कई उपसमूहों में बाँटा गया है, जैसे:
खंडेलवाल वैश्य
महाजन खंडेलवाल
खंडेलवाल जैन
खंडेलवाल मारवाड़ी
इनमें कुछ जैन धर्म को मानते हैं तो कुछ वैष्णव हैं। हालांकि सभी का मूल उद्गम खंडेला से ही माना जाता है।
🔷 आधुनिक युग में योगदान:
खंडेलवाल समाज से कई प्रसिद्ध उद्योगपति, नेता, लेखक, और समाजसेवी जुड़े हैं।
समाज ने शिक्षा संस्थानों, अस्पतालों, वृद्धाश्रमों और अनाथालयों के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है।
अगर आप चाहें तो मैं खंडेलवाल समाज की 72 ½ गोत्रों की सूची, प्रमुख कुलदेवियों के नाम, या खंडेलवाल डिजिटल डायरेक्टरी का प्रारूप भी प्रदान कर सकता हूँ। बताइए किस पर विस्तार चाहिए?
You said:
ChatGPT said:
यह रहा खंडेलवाल समाज की 72½ गोत्रों की सूची और उनसे संबंधित प्रमुख कुलदेवियों के नाम (जहाँ उपलब्ध हैं):
✅ खंडेलवाल समाज की 72½ गोत्रों की सूची
(कुछ स्रोतों में यह संख्या 72 मानी जाती है, और “आधा” गोत्र प्रतीकात्मक माना जाता है, जिसके पीछे कई लोककथाएँ हैं।)
अजमेरा
बाफना
बागड़ा
बांगड़
बड़जात्या
बड़गुज्जर
बावलिया
बजाज
बंग
बरारिया
बारडिया
बाघेला
बिनानी
बिंझोलिया
बांगड़िया
बेलदारिया
चांदक
चाजेड़ / छाजेड़
चौपड़ा
डांगी
दोशी
डागा
डागली
एरंडा
गेहलोत
गट्टानी
गोलछा
जालान
झंवर
झुंझुनवाला
काबरा
कांकरिया
खेमका
खेतान
खंडेलवाल
लोहिया
लड्ढा
लखोटिया
लुंकड़
लुहाड़िया
मित्तल
मंडोवरा
मंडलिया
मुणोत
न्याती
नाहटा
नाहर
पाटनी
पोद्दार
पुरोहित
पोखरना
पुराणिक
राठी
रुइया
रनछोड़
संचेती
सिंघानिया
सुराना
सोमानी
टाटिया
त्रिलोकचंदानी
तेली
तोदी
उपाध्याय
वैद्य
वाधवा
मित्तल
फतेहचंद
गोयनका
झंवरिया
राठी
सराफ
72½. “आधा गोत्र” – मान्यता अनुसार यह प्रतीकात्मक है, कुछ के अनुसार यह “अज्ञात गोत्र” या वह गोत्र है जो पूर्ण रूप से सामाजिक मर्यादा का पालन नहीं कर पाया।
(नोट: उपरोक्त नामों में कुछ विविधता क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार पाई जा सकती है)
🔱 प्रमुख कुलदेवियाँ (Kuldaviyaan)
(हर गोत्र की अलग कुलदेवी होती है, लेकिन कुछ प्रमुख कुलदेवियाँ जिन्हें अधिकतर खंडेलवाल गोत्र पूजते हैं)
गोत्र | कुलदेवी का नाम | स्थान |
---|---|---|
छाजेड़ | करणी माता | देशनोक, बीकानेर |
मित्तल | रतनगढ़ वाली देवी | चूरू |
बागड़ा | चामुंडा माता | मांडलगढ़ |
लोहिया | शाकंभरी माता | सांभर |
खंडेलवाल सामूहिक | जीन माता | सुरजगढ (झुंझुनू), राजस्थान |
सुराना | सच्चियाय माता | ओसियां, जोधपुर |
काबरा | सिद्धि माता | मालवा क्षेत्र |
संचेती | नवलखा माता | महाराष्ट्र |
गोलछा | हिंगलाज माता | पाकिस्तान/अब भारत में प्रतिनिधि रूप |
डागा | त्रिपुरा सुंदरी माता | उदयपुर |
❇️ विशेष जानकारी:
जीन माता को अधिकांश खंडेलवाल समाज की सामूहिक कुलदेवी माना जाता है।
कुलदेवियाँ परिवार की पीढ़ियों से चली आ रही मान्यता के अनुसार भिन्न हो सकती हैं।
इन कुलदेवियों के मंदिरों में विवाह, मुंडन, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों से पहले दर्शन की परंपरा है।